किसान हमेशा आपदा और परेशानियों से दो-दो हाथ करते रहते हैं. कभी उन्हें प्रकृति की बेरुखी परेशान करती है तो कभी विभाग के उदासीन रवैये के कारण परेशान होना पड़ता है. सरकार के द्वारा किसानों को बेहतर सिंचाई व्यवस्था प्रदान करने को लेकर जिले में कई नलकूपों का निर्माण करवाया गया था. लेकिन अब यह किसानों के लिए महज शोभा की वस्तु बन कर रह गई है.
बिहार सरकार हर खेत तक पानी पहुंचाने का दावा करती है और इसके लिए योजनाएं भी संचालित है, लेकिन बिहार के लखीसराय जिले में किसानों को सिंचाई में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसका मुख्य कारण है सरकारी नलकूपों का बंद हो जाना. इससे किसानों की फसलों के लिए पानी की उपलब्धता में कमी हो रही है. जिसके कारण किसान की फसलें प्रभावित हो रही है..
यहां के किसान अब मात्र धान और गेहूं की फसल लगाने को मजबूर हैं . उसमें भी कभी गेहूं की फसल सिंचाई के आभाव में प्रभावित हो जाती है. वहीं धान की पैदावार तो बारिश पर ही निर्भर करती है. अगर प्रकृति ने साथ दिया और समय से अच्छी बारिश हुई तो धान की उपज होती है अन्यथा हाथ मलने को मजबूर रहते हैं.
डीजल खरीद कर सिंचाई करने में छूट रहे हैं किसानों को पसीने
स्थानीय किसान वीरेंद्र यादव और कमलेश यादव ने बताया कि नलकूपों के बंद हो जाने से किसानों को बड़ी तकलीफ हो रही है. वे अब अन्य स्त्रोतों से पानी लाने में लगे हुए हैं जिसमें उन्हें काफी खर्चे करने पर रहे हैं. डीजल काफी महंगा है जिसको लाने में हमारे पसीने छूट जाते हैं.
किसानों ने बताया की नलकूप को चालू करवाने के लिए विभागीय अधिकारी के साथ-साथ सरकार के कई आला अधिकारियों से भी संपर्क किया है. लेकिन इस पर अभी तक कोई पहल नहीं किया गया है. किसान सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए यह मांग करते हैं कि इसे चालू करवाने दिशा में पहल की जाए. अगर यह चालू हो जाता है तो खेती में काफी फायदा होगा.
मुखिया को दी गई थी नलकूप को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी
लखीसराय जिले में कुल 115 नलकूप मौजूद हैं जिसमें महज 34 सुचारू रूप से चालू है. बांकि नलकूलों को मरम्मत कर पुनः चालू करने की जिम्मेदारी विभिन्न पंचायतों के मुखिया को दिया गया था. लेकिन स्थिति अभी तक यथावत बनी हुई है. ग्रामीणों ने बताया की न तो अभी तक नलकूप चालू हो पाया है न ही मुखिया ने इस दिशा में कोई पहल किया है.
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